भाजपा से कई वादे लेकर सचिन ने कांग्रेस छोड़ी

0
115

मध्यप्रदेश के तीन विधानसभा और एक लोकसभा उपचुनाव से ठीक पहले भाजपा ने कांग्रेस को एक अनपेक्षित झटका दिया। बड़वाह विधानसभा से कांग्रेस के विधायक सचिन बिरला ने पार्टी छोड़कर भाजपा का दुरंगा गमछा पहन लिया। कहा जाता है कि कांग्रेस ने उनसे खंडवा लोकसभा उपचुनाव में उम्मीदवार बनाने का वादा किया था। लेकिन, टिकट नहीं दिया, इस पर वे नाराज थे। उन्होंने बेड़िया की एक चुनावी सभा में शिवराज सिंह चौहान के सामने चुनावी सभा के मंच पर भाजपा का दामन थाम लिया। इसे बड़ा झटका इसलिए माना जा रहा है, क्योंकि, 30 अक्टूबर को खंडवा लोकसभा के उपचुनाव के लिए उपचुनाव होना है। बड़वाह क्षेत्र गुर्जर बहुल माना जाता है और सचिन बिरला इसी समाज से आते हैं। एक दिन पहले तक सचिन बिरला कांग्रेस के मंच पर जीतू पटवारी के साथ चुनाव प्रचार करते नजर आए थे। निमाड़ क्षेत्र से कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आने वाले सचिन दूसरे विधायक हैं। इससे पहले मांधाता के कांग्रेस विधायक नारायण पटेल भाजपा में शामिल हुए थे।

सचिन बिरला के बारे में भले ही कहा जा रहा हो कि वे अचानक कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए, पर सच्चाई यह है कि इस दलबदल की पटकथा काफी पहले लिखी जा चुकी थी। वे कांग्रेस से खंडवा लोकसभा उपचुनाव का टिकट मांग रहे थे, पर पार्टी ने वादा करके भी उन्हें टिकट नहीं दिया और राजनारायण सिंह को उम्मीदवार बनाया गया। भाजपा ने उनकी इस नाराजी को भुनाने के साथ उनके क्षेत्र की कुछ मांगों को भी न सिर्फ मान लिया, बल्कि खबर है कि स्वीकृत भी किया है। चुनाव आचार संहिता के कारण अभी उनकी घोषणा नहीं की गई! पर, बताते हैं कि सचिन बिरला ने भाजपा में शामिल होने से पहले वो वादे जरूर पूरे करवा लिए, जो उपचुनाव में उनकी जीत में मददगार बन सकते हैं।

सचिन बिरला ने बड़वाह को जिला बनाने की मांग की है, जिसे सिद्धांततः मान लिया गया। इसके अलावा काटकूट क्षेत्र में पानी देने की एक बड़ी योजना लम्बे समय से लंबित है, उससे करीब 55 गांव प्रभावित होंगे। कांग्रेस के शासनकाल में भी सचिन बिरला ने उसे स्वीकृत करवाने की कोशिश की थी, पर सफल नहीं हुए! बताते हैं कि इस योजना को स्वीकृत करने का वादा किया गया। इस योजना के पूरा होने से क्षेत्र के लोगों को लाभ मिलेगा। बेड़िया मिर्च मंडी के लिए भी सचिन बिरला ने 65 एकड़ जमीन मांगी है। इसके अलावा बड़वाह को नगर पालिका बनाए जाने का भी वादा लिया गया है। उनके नजदीकी सूत्र बताते हैं कि ये सभी योजनाएं उन्होंने पहले स्वीकृत करवाई, इसके बाद ही वो भाजपा के पाले में गए हैं। उनके पार्टी छोड़ने के बाद खाली होने वाली विधानसभा सीट पर भाजपा से टिकट दिए जाने का वादा तो पूरा होना ही है। भाजपा से उन्होंने ये वादे लिए हैं, इस बात का पता इससे भी लगता है कि उन्होंने भाजपा में आने के बाद उसी मंच से बेड़िया मंडी को एशिया की सबसे शानदार मंडी बनाने की बात कही। उनका कहना था कि वे बेड़िया की मिर्च को दुनिया में स्थापित कराएंगे।

ये भी बताया गया कि कांग्रेस का विधायक होते हुए, सचिन बिरला की ज्यादा पूछ परख नहीं थी। यहाँ तक कि जब कांग्रेस की सरकार थी, तब भी उनको गंभीरता से नहीं लिया जाता था। तब भी उनके कोई काम नहीं होते थे। यहाँ तक कि लोकल अफसर भी उनको तवज्जो नहीं देते थे। सचिन बिरला की नाराजी तभी से थी, पर वे खामोश रहे। जब खंडवा उपचुनाव में उन्हें वादे के बाद भी टिकट नहीं दिया, तो उनकी नाराजी चरम पर आ गई! सचिन के दलबदल से भाजपा को सबसे बड़ा फ़ायदा गुर्जर वोटों का होगा। बड़वाह विधानसभा क्षेत्र में गुर्जर मतदाताओं की संख्या अच्छी खासी है, जो कांग्रेस से छिटक सकती है। इसका सीधा फ़ायदा खंडवा उपचुनाव में भाजपा को मिलेगा। 2018 के विधानसभा चुनाव में सचिन बिरला 30,508 वोटों से चुनाव जीते थे, जो एक बड़ा अंतर है। उन्होंने भाजपा के तीन बार के विधायक हितेंद्रसिंह सोलंकी को मात दी थी।

बड़वाह विधानसभा क्षेत्र में सचिन के प्रभाव को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता। 2013 के विधानसभा चुनाव में जब कांग्रेस ने उन्हें उम्मीदवार नहीं बनाया था, तब वे निर्दलीय चुनाव लड़े और दूसरे स्थान पर रहे थे। उन्हें उस चुनाव में 61970 वोट मत मिले थे। कांग्रेस के प्रत्याशी राजेंद्र गुर्जर की जमानत तक जब्त हो गई थी, उन्हें सिर्फ 14323 वोट मिले और तीसरे स्थान पर रहे। बताया जा रहा है कि इसमें कृषि मंत्री कमल पटेल की भूमिका महत्वपूर्ण है। वे कहीं न कहीं सचिन बिरला को भाजपा में लाने के लिए राजी करने में सफल रहे। आज वे भी बेड़िया के उस मंच पर मौजूद थे, जिस पर मुख्यमंत्री ने सचिन को भाजपा में प्रवेश दिलाया। इसके अलावा स्थानीय स्तर पर बिरला को भाजपा में लाने में मांधाता के विधायक नारायण पटेल की भी अहम भूमिका रही। वे भी कांग्रेस छोड़कर आए हैं और गुर्जर समाज से ही आते हैं। सचिन के भाजपा में आने से बड़वाह से तीन बार के विधायक रहे हितेंद्रसिंह सोलंकी की राजनीति सबसे ज्यादा प्रभावित होगी। लेकिन, बताते हैं कि भाजपा के बड़े नेताओं ने उनको मना लिया है। उपचुनाव के बाद उनका कहीं पुनर्वास किया जा सकता है।

कांग्रेस में असमंजस

कांग्रेस विधायक के पाला बदलने पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ट्वीट करके कहा कि चुनावों में नकार दिया था, घर बैठा दिया था। अब प्रदेश में हो रहे चार उपचुनावों में भी BJP ने जनता का मूड देख लिया है। BJP को संभावित परिणामों का अंदेशा हो चला है। उनका जनाधार खत्म हो चुका है। जनता अब उनको एक पल भी सत्ता में देखना नहीं चाहती है, तो अब अपनी सरकार और खोए जनाधार को बचाने के लिए BJP एक बार फिर सौदेबाजी कर प्रदेश की राजनीति को कलंकित करने का काम कर रही है।

उन्होंने पूछा है कि शिवराज जी अपनी कुर्सी बचाने के लिए आप कितनी भी सौदेबाजी की राजनीति कर लो! लेकिन, आपकी यह कुर्सी नहीं बचने वाली है। क्योंकि, जनता आपको नकार चुकी है। आपकी इस सौदेबाजी की राजनीति को इन चुनावों में वह मुंहतोड़ जवाब देगी। जबकि, कांग्रेस विधायक सचिन बिरला के BJP भाजपा में शामिल होने पर पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने कहा ‘बिकाऊ माल बिकेगा और टिकाऊ माल टिकेगा।’

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here