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बीजेपी ने खंडवा से ज्ञानेश्वर पर लगाया दांव

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 भोपाल: भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने मध्य प्रदेश (MP) की सभी चार सीटों से अपने उम्मीदवारों की औपचारिक घोषणा कर दी, जहाँ उपचुनाव होना है। इनमें 3 विधानसभा की सीटें हैं और एक लोकसभा की। इस लिस्ट में सबसे चौंकाने वाला नाम खंडवा लोकसभा से ज्ञानेश्वर पाटिल का रहा। अंतिम समय तक दिवंगत भाजपा नेता नंदकुमार सिंह चौहान और अर्चना चिटनीस का नाम था। पर, इन दोनों के बीच की खींचतान को देखते हुए पार्टी ने तीसरे निर्विवाद उम्मीदवार ज्ञानेश्वर पाटिल का नाम फ़ाइनल किया है। जोबट विधानसभा सीट से भी BJP ने कांग्रेस छोड़कर आई सुलोचना रावत पर विश्वास जताया, जबकि पहले उनके बेटे विशाल रावत को टिकट देने की चर्चा थी। रैगांव से प्रतिमा बागरी और पृथ्वीपुर से शिशुपाल यादव BJP के उम्मीदवार होंगे।

BJP ने खंडवा लोकसभा उपचुनाव के लिए से पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष ज्ञानेश्वर पाटिल को उम्मीदवार बनाकर उसी तरह चौंकाया, जिस तरह कांग्रेस ने राजनारायण सिंह का नाम तुरुप का इक्का फेंका है। चुनाव की घोषणा के साथ ही खंडवा लोकसभा सीट से BJP के संभावित उम्मीदवार के रूप में हर्ष सिंह चौहान व अर्चना चिटनिस  था। बीच में कृष्णमुरारी मोघे ने भी दावेदारी के पत्ते फेंके, पर बात नहीं बनी। पैनल में ज्ञानेश्वर पाटिल, राजपाल सिंह तोमर के भी नाम थे। मुख्यमंत्री हर्ष चौहान को टिकट देने के पक्ष में थे, पर उनका राजनीतिक इतिहास इतना उजला नहीं था कि उस पर विचार भी किया जाता। ऐसे में अर्चना चिटनीस को यदि टिकट दिया जाता तो पारी में सेबोटेज का खतरा था। BJP संगठन इस सीट से किसी OBC (अन्य पिछड़ा वर्ग) को उम्मीदवार बनाना चाहता था, ऐसे में ज्ञानेश्वर पाटिल को सबसे सही उम्मीदवार समझा गया और उन पर विश्वास जताया।
BJP पृथ्वीपुर सीट से शिशुपाल सिंह यादव और गणेशीलाल नायक का नाम पैनल में भेजा गया था। इसमें से शिशुपाल यादव के नाम पर दिल्ली में मुहर लग गई। रैगांव से जिला महामंत्री प्रतिमा पाटिल को उम्मीदवार बनाया गया। जबकि, यहां से पुष्पराज बागरी के नाम पर भी विचार किया गया था। कांग्रेस ने कांग्रेस ने खंडवा लोकसभा सीट से राज नारायण सिंह, रैगांव से कल्पना वर्मा, जोबट से महेश पटेल और पृथ्वीपुर से पूर्व मंत्री बृजेंद्र सिंह राठौर की जगह उनके बेटे नितेंद्र सिंह राठौर को टिकट दिया है।
*BJP का OBC पत्ता*
25 साल बाद BJP ने खंडवा से किसी OBC पर दांव लगाया है। 1996 से लेकर 2019 तक ठाकुर नंदकुमार सिंह चौहान लगातार BJP से चुनाव लड़ते रहे। अब यहाँ से पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष ज्ञानेश्वर पाटिल को चुनाव मैदान में उतारा गया। सगंठन ने यहाँ के लिए चार नाम का पैनल दिल्ली भेजा था। दिवंगत नंदकुमार सिंह के बेटे हर्षवर्धन सिंह चौहान पहले नंबर पर थे। लेकिन, पार्टी ने उनसे ज्यादा ज्ञानेश्वर पाटिल पर भरोसा किया। पाटिल को टिकट देने का सबसे बड़ा कारण उनकी निर्विवाद छवि और नंदकुमार सिंह से उनकी नजदीकी रही।
*इसलिए ज्ञानेश्वर पर भरोसा*
पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष ज्ञानेश्वर पाटिल का नाम अचानक फाइनल होने के पीछे उनकी निर्विवाद छवि बताया जा रहा है। तीन दिन पहले बुरहानपुर आए BJP के प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव ने कार्यकर्ताओं से फीडबैक लिया था। उससे यह बात स्पष्ट हुई कि यदि अर्चना चिटनीस या सांसद पुत्र हर्षवर्धन में से किसी एक को भी टिकट दिया गया, तो पार्टी गुटबाजी में फंस जाएगी। ऐसे में हार का खतरा ज्यादा है। इस कारण पाटिल का नाम सामने आया। अर्चना चिटनीस और दिवंगत नंदकुमार सिंह चौहान के बीच गुटबाजी जगजाहिर रही। BJP ने इस बार टिकट के मामले में चिंतन किया। हर्षवर्धन सिंह चौहान का ही नाम चल रहा था, लेकिन दो लोगों की लड़ाई में तीसरा बाजी न मार जाए इसे देखते हुए पार्टी ने एक-एक कार्यकर्ता, नेता से फीडबैक लिया। जिसके बाद ज्ञानेश्वर पाटिल निर्विवाद कैंडिडेट के रूप में सामने आए हैं। ज्ञानेश्वर पाटिल दिवंगत नंदकुमार सिंह चौहान के कट्टर समर्थक हैं। वह कई चुनाव में नंदू भैया का चुनावी मैनेजमेंट संभालते रहे हैं। साथ ही विवाद और गुटबाजी से भी दूर रहे। इसलिए उनका नाम उभरकर सामने आया।
*जोबट से सुलोचना पर विश्वास*
इस बात से इंकार नहीं कि जोबट विधानसभा से BJP के पास कोई ऐसा चेहरा नहीं था, जो कांग्रेस को मात दे सके। आदिवासी इलाकों में अभी भी कांग्रेस की पकड़ मजबूत है। ऐसे में जब कांग्रेस ने पूर्व MLA सुलोचना रावत को टिकट देने से इंकार किया तो उन्होंने अपने बेटे विशाल रावत के साथ कांग्रेस छोड़ भाजपा का पल्ला पकड़ लिया। सुलोचना दिग्विजय सिंह सरकार में नर्मदा घाटी विकास राज्यमंत्री भी रही हैं। उनके बेटे विशाल रावत ने 2013 में कांग्रेस से चुनाव लड़ा था और हार गया था। 2018 में टिकट नहीं मिलने पर वे निर्दलीय मैदान में उतरे पर जीत नहीं सके। दो हार के बाद कांग्रेस ने उन पर दांव लगाना सही नहीं समझा। पर, BJP सुलोचना रावत को टिकट देकर एक तरह से राजनीतिक जुआ खेला है।

Yami Gautam गंभीर और लाइलाज बीमारी की हुईं शिकार

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सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर करते हुए उन्होंने लिखा कि वह किशोरावस्था से ही इस रोग से पीड़ित हो गई थी. इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है. एक्ट्रेस Yami Gautam ने ट्विटर पर ट्वीट करते हुए अपनी त्वचा को दिखाया और कई तस्वीरें शेयर किया है.

वहीं, सोशल मीडिया पर कुछ फोटो शेयर करते हुए Yami Gautam ने लिखा – ‘नमस्कार दोस्तों, मैंने हाल ही में कुछ फोटो के लिए शूटिंग की है. जब वे केराटोसिस-पिलारिस नामक मेरी त्वचा की स्थिति को छिपाने के लिए पोस्ट-प्रोडक्शन (एक सामान्य प्रक्रिया) के लिए जाने वाली थीं, तो मैंने सोचा, कि मैं इस तथ्य को स्वीकार क्यों नहीं कर लेती. इसके साथ मैं सहज हूं.’

केराटोसिस पिलारिस एक ऐसी स्थिति है जो त्वचा पर खुरदुरे पैच और छोटे, मुंहासे जैसे धक्के बनाती है. यामी ने कहा, ‘मैंने आपके साथ अपनी सच्चाई साझा करने का साहस दिखाया है. मुझे अपने फॉलिकुलिटिस को एयरब्रश करने या अंडर-आई को चिकना करने या कमर को थोड़ा और आकार देने का मन नहीं था. मैं जैसी दिख रही थी वह बेहतर और सुंदर थी.’

उज्‍जैन में देवी हरसिद्धि श्रीयंत्र पर विराजित हैं , इसलिये हैं प्रसिद्ध

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उज्जैन। शक्तिपीठ हरसिद्धि देश के 52 शक्तिपीठों में से एक है। मान्यता है यहां माता सती की सीधे हाथ की कोहनी गिरी थी। मंदिर में देवी की मूर्ति श्रीयंत्र पर विराजित है। इस मंदिर में देवी की साधना करने से साधकों को शीघ्रता से हर प्रकार की सिद्धि प्राप्त हो जाती है। इसलिए इस शक्तिपीठ का नाम हरसिद्धि है।

जन्माष्टमी की धूम: कश्मीर से केरल तक

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The birth of Lord Krishnaदेशभर में सोमवार को जन्माष्टमी धूमधाम से मनाई गई. भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव की धूम कश्मीर से केरल तक देखने को मिली. कोरोना काल में कान्हा की नगरी मथुरा में अलग ही नजारा देखने को मिला. नंदलला के दर्शन के लिए देशभर के तमाम मंदिरों में लोगों की अच्छी खासी भीड़ देखने को मिली.

भाद्रपद कृष्ण अष्टमी तिथि की आधी रात को मथुरा के कारागार में वासुदेव की पत्नी देवकी के गर्भ से भगवान श्रीकृष्ण ने जन्म लिया था. श्रीकृष्ण के जन्म की इसी शुभ घड़ी का उत्सव पूरे देश में धूमधाम से मनाया गया. श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव पर जंहा मथुरा और वृन्दावन में धूमधाम से जन्माष्टमी मनाई जाती है. वहीं, कृष्ण का ससुराल भी इस दिन पीछे नहीं रहता है. कुदरकोट में भी यह पर्व पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. अपने प्रिय दामाद का जन्मदिन मनाने की वजह से इस जगह को खास पहचान मिली हुई है.

कोरोना के साये में सोमवार को देशभर में कृष्ण जन्माष्टमी सादगीपूर्ण तरीके से मनाई गई। मंदिरों में जय कन्हैया लाल की की गूंज के बीच लोग नाचते-गाते दिखे। राजस्थान की धार्मिक नगरी अजमेर और मंदिरों की नगरी पुष्कर में सुबह से ही श्रद्धा, भक्ति, उल्लास एवं उत्साहपूर्वक परंपरागत तरीके से जन्माष्टमी मनाई गई। कोविड-19 की वजह से अधिकतर राज्यों में मंदिरों में श्रद्धालुओं के प्रवेश पर पाबंदी रही।

श्रीनगर में दो साल बाद जन्माष्टमी का जुलूस निकाला गया

श्रीनगर में दो साल बाद कड़ी सुरक्षा के बीच कश्मीरी पंडितों ने जन्माष्टमी पर जुलूस निकाला। अधिकारियों ने बताया कि जुलूस शहर के हब्बा कदल इलाके के गणपतियार मंदिर से शुरू हुआ और ऐतिहासिक लाल चौक स्थित घंटाघर तक पहुंचा। पुरुषों, महिलाओं और बच्चों सहित भक्तों ने रथ के साथ नृत्य किया और लोगों के बीच मिठाई बांटी। उन्होंने कहा कि जुलूस अमीरकदल पुल को पार कर जहांगीर चौक से गुजरा और मंदिर लौट आया। श्रद्धालुओं में से एक वरिष्ठ नागरिक ने कहा कि दो साल बाद उन्हें श्रीनगर में जन्माष्टमी का जुलूस निकालने की अनुमति मिली। कोविड-19 के कारण 2020 में कोई जुलूस नहीं निकाला गया था, जबकि अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को निरस्त करने के मद्देनजर लगाए गए लॉकडाउन के कारण इस आयोजन को रद्द कर दिया गया था।

मध्यप्रदेश और केरल में उत्सव

मध्यप्रदेश में भोपाल सहित राज्यभर में जन्माष्टमी धूमधाम से मनाई गई। इस अवसर पर मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ देखी गई। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेशवासियों को जन्माष्टमी पर्व की शुभकामनाएं दीं। केरल के प्रसिद्ध पद्मनाभस्वामी मंदिर में भक्त दर्शन करने के लिए पहुंचे। हालांकि, कोरोना पर पाबंदी की वजह से इस बार पहले की तरह रौनक नहीं है। कोरोना महामारी को देखते हुए मंदिर प्रशासन ने श्रद्धालुओं के लिए पर्याप्त इंतजाम किए गए थे।